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10 Oct 2021 · 1 min read

” मिथिलाक नारीक बदलल स्वरुप “

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”

====================

आब मात्र कविता धरि
सीमित रहि गेल ,–

” चलू प्रियतम मेला चलू.
.हम चूड़ी कीनब ,
हम लहठी कीनब ,
चन्द्रहार लेब
टिकुली ,अल्त्ता
नेल पोलिश लेब “!!

“आब गामो मे ऑनलाइन
सब भेट जाइत अछि !
आहां खाली ‘पे टियम’
सं पाई पठाऊ
घर बैसल सब चीज द’ जाइत अछि !!

आब हम सओउन मे
नोर अप्पन किया बहायब ?
मधुमास ,होरी उत्सव मेअप्पन
अंग किया जरायब ??

ऑनलाइन टिकट कटा
ए० सी ० मे बैइस केंआहां लग
पहुँचि’ धप्पा ‘ कहि देब !
मन जतय करत
कलकत्ता ..बोम्बॉय घूमि लेब !

!
मोबाइल लैपटॉप क जमाना छैक ,
गेल जमाना जखन
मनी आर्डर अबैत छल !
हमर चिठ्ठी डाकिया बाबू
घर ल’ अबैत छल !!

आब ए० टी ० ऍम ०
हुनका सं ल ‘ लेने छी !
पाईक खगताह लेल ककरो
नहि मुँह तकैत छी !!

कवि कविता लिखैत रहथू
हम नहि अबला नारी छी !
आब रणक्षेत्र ..आकाश ..आ ..समुद्र मे
गर्व सं झंडा फहराबैत छी !!

=================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
शिव पहाड़
दुमका
झारखण्ड
शिव पहाड़
दुमका
झारखण्ड

Language: Maithili
275 Views
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